आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ
न मैं देखूँ औरन को, न तोहे देखन दूँ
अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई
जब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई
खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय
संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत
वे नर ऐसे जाऐंगे, जैसे रणरेही का खेत
खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन
कूच नगारा सांस का, बाजत है दिन रैन
न मैं देखूँ औरन को, न तोहे देखन दूँ
अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई
जब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई
खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय
संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत
वे नर ऐसे जाऐंगे, जैसे रणरेही का खेत
खुसरो सरीर सराय है क्यों सोवे सुख चैन
कूच नगारा सांस का, बाजत है दिन रैन
- अमीर ख़ुसरो !!
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