कादम्बिनी क्लब हैदराबाद एवं साहित्य सेवा समिति हैदराबाद के संयुक्त
तत्वावधान में रविवार दिनांक 12 बजे से डा० एन० गोपि की अध्यक्षता में तेलंगाना
सारस्वत परिषद सभागार में युवा हिंदीसेवी साहित्यकारों का सम्मान समारोह,
संगोष्ठी व काव्यसत्र का सफल आयोजन किया गया.
प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डा० अहिल्या मिश्र (क्लब
अध्यक्षा) एवं मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका) ने बताया कि इस अवसर पर विनोद के०
अग्रवाल (मुख्य अतिथि), प्रो० ऋषभदेव शर्मा एवं जसमतभाई पटेल (विशेष अतिथि),
डा० राजेन्द्र मिश्र एवं एम० रंगैय्या (सम्माननीय अतिथि) तथा संस्थाद्वय अध्यक्ष
डा० अहिल्या मिश्र एवं डा० दयाकृष्ण गोयल मंचासीन हुए.
मंचासीन अतिथियों के करकमलों से माँ शारदे की छवि के सम्मुख दीप प्रज्वलन
किया गया. सुधा गांगोली ने निराला रचित सरस्वती वंदना की सुन्दर प्रस्तुति दी. डा०
अहिल्या मिश्र ने उपस्थित अतिथि गण व सभा का स्वागत करते हुए कहा कि संस्था द्वय
के संयुक्त तत्वावधान में यह सुयोग बन आया है कि हिंदी साहित्य के युवा रचनाकारों
को ‘डा० सी० नायारण रेड्डी 2017’ के पुरस्कार से नवाज़ा जा रहा है.
श्रीमन्ननारायणचारी ‘विराट’ और प्रवीण प्रणव दक्षिण की भूमि पर हिंदी साहित्य में ऐसे ही आगे
बढ़ते रहें यही शुभकामना है. कार्यक्रम संयोजक और इस पुरस्कार के प्रायोजक देवाप्रसाद
मायला का हिंदी साहित्य के प्रति युवाओं को प्रोत्साहित करना निश्चित ही सराहनीय
है.
तत्पश्चात मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया गया,
इसमें डा० मदनदेवी पोकरणा, डा० सी० वसंता, डा० कृष्णा
सिंह, जगजीवनलाल अस्थाना, डा० गीता जांगिड़,
सरिता सुराणा, दर्शन सिंह और अवधेश कुमार सिन्हा ने सहयोग प्रदान किया.
संगोष्ठी सत्र में दूधनाथ सिंह पर प्रपत्र प्रस्तुति में अवधेश कुमार
सिन्हा ने कहा कि इसी माह उनका दुखद निधन हुआ है. कई साहित्यिक संगठनों में सक्रिय
रहते हुए उन्होंने साहित्य की विभिन्न विधाओं में खूब लिखा. धर्मवीर भारती को वे
अपना गुरु मानते थे. अपनी कहानियों के माध्यम से साठोत्तरी भारत के पारिवारिक,
सामाजिक, आर्थिक व नैतिक क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों को उन्होंने उजागर
किया. दूधनाथ सिंह मानते थे कि एक लेखक का दायित्व है कि वह अपने समय की सामाजिक
समस्याओं का चित्रण करे, उन समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध रहे. दूधनाथ सिंह उन कहानीकारों में
शामिल हैं जिन्होंने नई कहानी आन्दोलन को चुनौती दी.
तत्पश्चात पुरस्कार सत्र के अंतर्गत ‘डा० सी० नारायण
रेड्डी 2017’ पुरस्कार के लिए चयनित श्रीमन्ननारायणचारी ‘विराट’ का
परिचय कर्नल दीपक कुमार दीक्षित ने देते हुए कहा कि निजामाबाद निवासी अध्यापक व
कवि ‘विराट’ का तेलुगु भाषिक होते हुए भी हिंदी साहित्य से लगाव सराहनीय है. डा०
रमा द्विवेदी ने प्रवीण प्रणव का परिचय देते हुए कहा कि गैर साहित्यिक क्षेत्र (माइक्रोसॉफ्ट)
में कार्यरत होते हुए भी प्रवीण ने अपने ग़ज़ल और नज्मों से साहित्य प्रेमियों को
प्रभावित किया है. तत्पश्चात मंचासीन
अतिथियों के करकमलों से करतल ध्वनि के बीच श्रीमन्ननारायणचारी ‘विराट’ और प्रवीण प्रणव को शॉल, माला, मोमेंटो व 11,000/-
रुपए की राशि ससम्मान भेंट की गई. पुरस्कार प्रायोजक देवाप्रसाद मायला,
परिचय प्रस्तोता और संयोजक मंडल के सदस्य इस अवसर पर उपस्थित थे. विराट और प्रवीण
ने अपने वक्तव्य में कहा कि निश्चित ही यह पुरस्कार उन्हें हिंदी साहित्य जगत की
आगामी यात्रा में मनोबल और प्रेरणा प्रदान करेगा.
जसमत पटेल, एम० रंगैय्या, डा० राजेन्द्र मिश्र ने पुरस्कार ग्रहीताओं
को साधुवाद दिया. डा० ऋषभदेव शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘सीनारे’
नाम से जाने जाते रहे डा० रेड्डी उच्च साहित्यिक, विचारक,
चिन्तक और प्रभावी वक्ता के रूप में ख्याति प्राप्त हैं. ऐसे व्यक्तित्व के नाम से
यह पुरस्कार निश्चित ही इन दोनों युवाओं के लिए शिरोधार्य है. डा० दयाकृष्ण गोयल
ने कहा कि विराट में उर्जा है जो हमें दिनकरजी की याद दिलाती है वहीँ प्रवीण प्रणव
की ग़ज़ल बहुत सधी हुई होती है और उनमें विचारों की परिपक्वता नज़र आती है. संस्था
द्वय का यह समन्वय दो युवाओं को पुरस्कृत होता देख गौरवान्वित अनुभव कर रहा है.
देवाप्रसाद मायला ने कहा कि हम सही ढंग से दौड़ेंगे तो अवश्य जीत सकते हैं. रचनाकार
केवल एक दायरे में न रहें और दूसरों से तुलना न करें. लेखन पर ध्यान केन्द्रित
करते हुए साहित्य सेवा में लीन रहें. डा० एन० गोपि ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सीनारे को याद करते हुए लिखी अपनी कविता का पाठ किया.
उन्होंने कहा कि दोनों युवाओं को यह पुरस्कार आगे नई जिम्मेदारी का अहसास करता
रहेगा. इस अवसर पर देवाप्रसाद मायला, पवन जैन और मीना मुथा का सम्मान किया
गया. सत्र का आभार सरिता सुराणा ने व्यक्त किया.
दूसरे सत्र में जगजीवनलाल अस्थाना ‘सहर’ की
अध्यक्षता में कवि गोष्ठी संपन्न हुई. सुरेश जैन, डा० दयाकृष्ण
गोयल तथा डा० अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए. सविता सोनी, कुंजबिहारी
गुप्ता, सुषमा बोधनकर, दिनेश अग्रवाल, पवन जैन,
श्रीपूनम जोधपुरी, दर्शन सिंह, शशि राय, अवधेश कुमार
सिन्हा, प्रवीण प्रणव, उमेशचन्द्र श्रीवास्तव,
रवि वैद्य, सुनीता लुल्ला, संतोष कुमार ‘रज़ा’,
रूबी मिश्रा, सुरेश जैन, डा० दया कृष्ण गोयल,
डा० अहिल्या मिश्र, एम० रंगैय्या आदि ने काव्यपाठ किया. जगजीवनलाल अस्थाना ने अध्यक्षीय
काव्यपाठ किया. कार्यक्रम का संचालन मीना मुथा ने किया. सुरेश गुगालिया,
रोहिताश्व, रिद्धिश जागीरदार, जितेन्द्र प्रकाश,
भावना मयूर पुरोहित, मल्लिकार्जुन, बी० रुचिता, बी०
विजयलक्ष्मी, देविदास घोडके, डी० गौतम, डा० नागनाथ
बोधनकर, जी० आनंद, विश्वेश्वर अस्थाना, पूर्णिमा शर्मा, सुनीता,
विशाल, वेणु, भूपेंद्र मिश्र आदि गणमान्यों की उपस्थिति रही. सुनीता लुल्ला के
धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन
हुआ.