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Wednesday 6 July 2016

यूँ तो प्रहरी से खड़े हैं, ये हिमालय हैं बड़े - रमा द्विवेदी

यूँ तो प्रहरी से खड़े हैं, ये हिमालय हैं बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े

शब्द गा सकते नहीं, तेरे जीवन की कहानी
देश के हित  झोंक दी है तूने पूरे जिंदगानी
देश का जन-जन ऋणी है, छाँव में जो तेरी पले
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े

यूँ तो प्रहरी से खड़े हैं, ये हिमालय हैं बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े ||

तुझसे ही तो यहाँ की हर कली मुस्काएगी
तेरे बिन.. तो यहाँ की हर गली सो जाएगी
तुम नहीं तो हम नहीं तुम हो हर दुवाओं से बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े

यूँ तो प्रहरी से खड़े हैं, ये हिमालय हैं बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े ||

जल-थल-नभ में तेरा रुतबा और तेरी ही शान है
तुझसे अपनी आबरू है और तुझी से आन है
तुम समन्दर और धरा, आकाश से भी तुम बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े

यूँ तो प्रहरी से खड़े हैं, ये हिमालय हैं बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े ||

यूँ तो प्यारा झंडा हमारा, झुकता नहीं है ये कभी
पर तेरे सम्मान में ये भी झुक जाता है हर कहीं
करते नमन शत-शत नमन हर साँस में तू ही चले
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े

यूँ तो प्रहरी से खड़े हैं, ये हिमालय हैं बड़े
जो देश की रक्षा में अर्पित वे हिमालय से भी बड़े

- रमा द्विवेदी !!

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