श्याम सेत गोरी लिये जनमत भई अनीत
एक पल में फिर जात है जोगी काके मीत
गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारे केस
चल खुसरो घर आपने रैन भई चहुँ देस
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग
तन मेरो मन पीउ को दोउ भए एक रंग
देख मैं अपने हाल को रोऊँ ज़ार–ओ–ज़ार
वै गुनवन्ता बहुत हैं हम हैं औगुनहार
वो गए बालम वो गए नदियो किनार
आपे पार उतर गए हम तो रहे मँझधार
भाई रे मल्लाहो हमको पार उतार
हाथ को देऊँगी मँुदरी गले को देऊँ हार
चकवा चकवी दो जने उनको मारे न कोय
ओह मारे करतार कै रैनविछौही होय
सेज सूनी देख के रोऊँ दिन–रैन
पिया–पिया कहती मैं पल भर सुख न चैन
खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी वाकी धार
जो उतरा सो डूब गया जो डूबा सो पार
ताजी खूटा देस में कसबे पड़ी पुकार
दरवाजे देते रह गए निकस गए उसा पार
खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पिया के संग
- अमीर ख़ुसरो !!
एक पल में फिर जात है जोगी काके मीत
गोरी सोवै सेज पर मुख पर डारे केस
चल खुसरो घर आपने रैन भई चहुँ देस
खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग
तन मेरो मन पीउ को दोउ भए एक रंग
देख मैं अपने हाल को रोऊँ ज़ार–ओ–ज़ार
वै गुनवन्ता बहुत हैं हम हैं औगुनहार
वो गए बालम वो गए नदियो किनार
आपे पार उतर गए हम तो रहे मँझधार
भाई रे मल्लाहो हमको पार उतार
हाथ को देऊँगी मँुदरी गले को देऊँ हार
चकवा चकवी दो जने उनको मारे न कोय
ओह मारे करतार कै रैनविछौही होय
सेज सूनी देख के रोऊँ दिन–रैन
पिया–पिया कहती मैं पल भर सुख न चैन
खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी वाकी धार
जो उतरा सो डूब गया जो डूबा सो पार
ताजी खूटा देस में कसबे पड़ी पुकार
दरवाजे देते रह गए निकस गए उसा पार
खुसरो बाज़ी प्रेम की मैं खेलूं पी के संग
जीत गयी तो पिया मोरे हारी पिया के संग
- अमीर ख़ुसरो !!
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